सपनो की दुनिया
Friday, July 13, 2007
तो याद कीजिए पेज थ्री...मधुर भंडारकर की वह फ़िल्म जिसमें शहर में होने वाली मौतों पर नम होने आंखों पर काले चश्मे दिखाए गए थे...अजीब बात है कि दुनिया को देखने वाला सभी का चश्मा लाल है, दिखाने वाला भी लाल...लेकिन मौत हमेशा काली ही दिखाई देती है...और काले में पारदर्शी आंसुओं को छुपाया दिखाया जा सकता है...
Thursday, May 10, 2007
Sunday, May 6, 2007
hi friends,
this is my first post on masti ki pathsala . i want to discuss here some topics based on?????? so enjoy now.
this is my first post on masti ki pathsala . i want to discuss here some topics based on?????? so enjoy now.